Friday, November 16, 2018

Shri Ganesh Prasad Varni

Poem on Shri Ganesh Prasad Ji Varni

अहार जी सिद्ध क्षेत्र से प्राप्त वर्णी जी पर कविता 


गुरू वर्णी ज्ञान समुंदर से निकले शतकों निर्मल मोती
जो आज यहां भारत भर में, विद्या की जला रहे ज्योति॥  

बह ज्ञान सिंधू विद्या सागर, जैनागम के उत्तम सैनिक
श्री बिशुद्ध सिंधू दिखलाते हैं, अध्यात्म की पावन ऐनिक॥

जीवन की दशा बदल जाती, जिनकी सुनकर गाथाओं को
पथ भटके मंजिल पा जाते, जिनके लखकर हर कार्यों को॥

गुरू वर्णी जी ने जगह जगह, जिनधर्म पताका फहराई,
शतकों विद्यालय खुलवाये, आगम की राह दिखलाई॥

बह जैन धर्म के न्यायाधीश, इस युग की श्रेष्ठ धरोहर थे
सिद्धांतपरक जीवन उन्नत, समता के बृहद सरोवर थे॥
यह पावन जीवन चारित्र है, गुरू वर्णी ज्ञान हिमालय का
जिसने हर दिल को जीता था, उस आध्यात्म के आलय का॥



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