बुंदेलखण्ड के जैन तीर्थ : श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पपौरा जी
बुंदेली जैन
तीर्थ : पपौरा जी
मन्दिरों का ही
जहाँ मेला भरा, वहाँ बतलाओ क्या नहिं पाओगे।
दीप धूप सुगन्ध
जल से थार भर, जब पपौरा क्षेत्र पर तुम जाओगे।। 1।।
भव्य भावों से
भरा हो तुम हृदय, क्या जरूरत है किसी सामान की।
बिन ही माँगे
पाओगे अक्षय सुमन, नाहिं कमी तुमको मिले मिष्ठान की।। 2।।
चांदनी ही रात में रजनी पति, मन्दिरों
की ओट में आकर बसे।
कभी कंगरो पर
इधर से उधर जा, शिखर पर जाकर बहुत
सुन्दर लसे ।। 3।।
जिनालय शोभित
अनूपम, प्रकृति का संग प्राप्त करके।
कला मानव की
छिपाये, जगत का उद्धार करके।। 4।।
खड़े हैं यह
युग-युगों से, कह रहे बीती कहानी।
कौन कहता मौन
हैं वे, कह रहे जब साफ वानी।। 5।।
है नहीं विश्वास
तो, जाकर करो तुम प्रश्न झटसे।
आयेगी आवाज निश्चय, प्रशन
के पीछे ही पट से।। 6।।
जीर्ण हैं श्रुत
क्षीण हैं, बात करना जोर से तुम।
लौटकर नहिं
शीघ्र कह दो, झूठ
ही कह रहे हो तुम।। 7।।
प्रति ध्वनि
देगी सुनाई, यही उत्तर तुम्हीं जानो।
अर्थ समझो या न
समझो, स्वयं की यह भूल मानो।। 8।।
उन जिनालय के
लिए, जो कर रहे हैं चमत्कार
बार-बार युगल कर
कर, कर रहा हूँ नमस्कार।।
Poem By Shri Baboo Lal Jain Digora M.P.