Thursday, May 22, 2025

काशी की विद्वत परम्परा एवं लेखकों को समर्पित “ज्ञान स्मारक” (Gyan Monument dedicated to Authors of Varanasi)

 काशी की विद्वत परम्परा एवं लेखकों को समर्पित 'ज्ञान स्मारक'

(Gyan Monument dedicated to Authors of Varanasi)

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सयाजीराव गायकवाड़ ग्रंथालय के प्रांगण में एक नया ज्ञान स्मारक स्थापित किया गया है। यह भारतीय ज्ञान परम्परा में प्राचीन आगम ग्रंथों, वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण  एवं रामचरितमानस जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेकर बनाया गया है। यह आगम ग्रंथ भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रमुख आधार स्तम्भ हैं। 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्ञान के भण्डार सयाजीराव गायकवाड़ ग्रंथालय के प्रांगण में वाराणसी के सभी विद्वत लेखकों एवं उनकी रचनाधर्मिता को यह ज्ञान रुपी बिम्ब समर्पित किया गया है। काशी के अनेक विद्वानों को पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से लेकर भारत रत्न जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं। अत: यह शिल्प पुस्तकालय में आने बाले सभी पाठकों (अध्यापक, शोध कर्ता एवं छात्रों) को पढ़ने के लिए, सत्य की खोज के लिए, सततज्ञान की प्राप्ति के लिए तथा नए नए अनुसंधान कार्यों के लिए प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।



वाराणसी की विद्वत परम्परा में लेखन तथा प्रकाशन का विशेष महत्व रहा है। काशी के प्रमुख विद्वानों में संत कबीर दास, तुलसीदास, रविदास से लेकर आधुनिक पं. गोपीनाथ कविराज, पं. मदन मोहन मालवीय, डा. भगवान दास, मुंशी प्रेमचंद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी, जय शंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, डा. शांति स्वरूप भटनागर, डा. शिवकुमार गुप्त, डा. सीताराम चतुर्वेदी, डा. विद्यानिवास मिश्र, ठाकुर प्रसाद सिंह, डा. वासुदेव शरण अग्रवाल, डा. मोतीचंद्र, पं. कैलाश चंद्र शास्त्री, डा. दरबारी लाल कोठिया, डा. बलदेव उपाध्याय, प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी जैसे अनेक कालजयी विद्वान लेखक हुए हैं। इन्ही सब विद्वान लेखकों की रचनाधर्मिता के लिए यह ज्ञान शिल्प समर्पित है।



केंद्रीय ग्रंथालय के प्रवेश द्वार पर लिखा वाक्य : “विद्ययाऽमृतमश्नुते । स्वाध्यायान्माप्रमद:“ हमें प्रेरणा देते हैं कि विद्या अर्थातज्ञान से अमरत्व प्राप्त होता है और स्वाध्याय में प्रमाद न करें। अध्ययन में आलस्य न करें बल्कि ध्यान से पढ़ाई करें। यह मंत्र जीवन में हमेशा ज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्पर रहने की सलाह देता है। अर्थात आलस्य से दूर रहकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करना चाहिए।  

 


 (केंन्द्रीय ग्रंथालय में उपल्ब्ध पुस्तक रूपी शिलालेख)

ज्ञातव्य है कि केंन्द्रीय ग्रंथालय में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लेखकों / अध्यापकों द्वारा प्रकाशित ग्रंथों का एक विशेष संग्रह है जिसे स्टाफ पब्लिकेशन कलेक्शन (SPC) कहा जाता है। इस संग्रह में उन सभी पुस्तकों को रखा गया है जिन्हें बी.एच. यू. के फेकल्टी मेंबर्स ने प्रकाशित किया है। यह उन सभी का ज्ञान के विकास में योगदान है।

आज के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टीफीशियल इंटेलीजेंसी) की भी बहुत चर्चा हो रही है। लेकिन आज भी मानव मस्तिष्क ही सर्वोपरि है, इसी से सम्पूर्ण जीव जगत में मानव की श्रेष्ठता विद्यमान है। यह प्रतिकृति मानव मस्तिष्क के “ज्ञान की श्रेष्ठता” को समर्पित है। इसकी रचना शिल्पकार श्री इंद्रपाल ने की है।

(डा. विवेकानंद जैन)

उप ग्रंथालयी, केंद्रीय ग्रंथालय

काशी हिंदू विश्वविद्यालय

मो. 9450538093 

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